kavita
शीर्षक | कवयित्री | प्रतिक्रिया | नवीन |
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मैत्रिणीला सापडलेली (माझीच) जुनी कवितेवरची कविता | संघमित्रा | 18 | |
नव मैत्रीण - उपक्रम | अनुजा मंदार | 23 | |
मन | Sam | 6 | |
मी नदी | मेघना एम.एच. | 5 | |
"मी" | विनार्च | 7 | |
'काचपंख' आणि 'पाठीमागून' | मॅगी | 12 | |
(सांग सख्या रे ) -- विडंबन ! | जाई | 9 | |
... | अवल | 13 | |
DP | प्रफे | 21 | |
Infatuation | अनुजा मंदार | 15 | |
Prior and Urgent! | प्रफे | 10 | |
Such is Life... Such is Death... | maithili | 5 | |
Tu Stree...... | Shalmali | 6 | |
अंगाई गीत | विजया केळकर | 4 | |
अंतर | प्रफे | 17 | |
अंतरीच्या गाभाऱ्यातून.. | मी कल्याणी | 3 | |
अंतरीच्या गूढगर्भी | सकाळ | 3 | |
अंबेचा उदो उदो बोला | विजया केळकर | 1 | |
अक्षय तृतीया | विजया केळकर | 2 | |
अगणित अश्वत्थामे | अवल | 7 | |
अगदी तेव्हाच... | अवल | 10 | |
अगदी तेव्हाच... | अवल | 2 | |
अदभूत दिवस | विजया केळकर | 0 | |
अनुप्रास | प्रफे | 10 | |
अनुल्लेख | प्रफे | 23 | |
अबोलीचं वन | अवल | 8 | |
अमलताश | रश्मी भागवत | 3 | |
अश्या या पावसात तू असावंस.. | सकाळ | 16 | |
अश्रू-- | चित्रा | 4 | |
असंच एकदा.. | मॅगी | 18 |
पाने
हिंदी / मराठी
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