kavita
शीर्षक | कवयित्री | प्रतिक्रिया | नवीन |
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मेघकिनारा.. | मी कल्याणी | 9 | |
मैत्री कशी असावी .... | अवल | 7 | |
मोर हवा तर | अक्षरे कवितेची | 3 | |
मौन | कविन | 6 | |
म्हातारी | रश्मी भागवत | 5 | |
यंदा भिजायचं नाही | विनि | 7 | |
रक्ताची चटक लागलेले चाकू सुरे खुले आम हिंडत आहेत. | वृंदा | 20 | |
रक्षा-बंध | विजया केळकर | 2 | |
राज्य | संघमित्रा | 36 | |
रातराणी | विजया केळकर | 0 | |
रात्रीच्या निळ्याशार डोहात डुंबताना.... | कविता१९७८ | 13 | |
रुपेरी खूण | प्रफे | 20 | |
रे सावळ्या | आशिका | 4 | |
रेनट्री....पर्जन्यवृक्ष | अंजली मायदेव | 4 | |
लकेर | चिन्नु | 8 | |
लाँग ड्राईव्ह | मॅगी | 12 | |
लेक म्हणजे.... | वाइज आउल | 47 | |
वळण | प्रफे | 6 | |
वाट | अन्जू | 21 | |
वाट | विजया केळकर | 9 | |
वाट | सुप्रु | 7 | |
वाटचाल | अवल | 8 | |
वाटेवर चालत जाता | मी कल्याणी | 0 | |
वाटेवर चालत जाता | मी कल्याणी | 13 | |
वाटेवर चालत जाता... | मी कल्याणी | 8 | |
वारा | विजया केळकर | 3 | |
वारी | देवयानी | 9 | |
वार्याची झुळूक | विजया केळकर | 2 | |
विठ्ठल विठ्ठल | विजया केळकर | 12 | |
विठ्ठल विठ्ठल | विजया केळकर | 2 |
पाने
हिंदी / मराठी
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