kavita
शीर्षक | कवयित्री | प्रतिक्रिया | नवीन |
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वळण | प्रफे | 6 | |
लेक म्हणजे.... | वाइज आउल | 47 | |
लाँग ड्राईव्ह | मॅगी | 12 | |
लकेर | चिन्नु | 8 | |
रेनट्री....पर्जन्यवृक्ष | अंजली मायदेव | 4 | |
रे सावळ्या | आशिका | 4 | |
रुपेरी खूण | प्रफे | 20 | |
रात्रीच्या निळ्याशार डोहात डुंबताना.... | कविता१९७८ | 13 | |
रातराणी | विजया केळकर | 0 | |
राज्य | संघमित्रा | 36 | |
रक्षा-बंध | विजया केळकर | 2 | |
रक्ताची चटक लागलेले चाकू सुरे खुले आम हिंडत आहेत. | वृंदा | 20 | |
यंदा भिजायचं नाही | विनि | 7 | |
म्हातारी | रश्मी भागवत | 5 | |
मौन | कविन | 6 | |
मोर हवा तर | अक्षरे कवितेची | 3 | |
मैत्री कशी असावी .... | अवल | 7 | |
मेघकिनारा.. | मी कल्याणी | 9 | |
माझ्यासाठी.. माझी कविता | मी कल्याणी | 10 | |
माझ्या सानपंखी धिटूक पाखरास | प्रफे | 10 | |
माझी लेखणी | विजया केळकर | 6 | |
माझी सगळ्यात चांगली व्हर्जन : मीच | वाइज आउल | 55 | |
माझा वेडा पाऊस | विनि | 13 | |
मागू तुज प्रित कशी | अवल | 4 | |
माऊली | विजया केळकर | 10 | |
महालक्ष्मी आरती | विजया केळकर | 6 | |
मलाच मी वजा करून | रश्मी भागवत | 1 | |
मलाच मी वजा करून | रश्मी भागवत | 0 | |
मला माझी लायकी काही केल्या सापडत नाही! | मुग्धमानसी | 14 | |
मराठी भाषा दिन २०१८ मध्ये स्पर्धकांनी केलेल्या कविता | मैत्रीण टीम | 5 |
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हिंदी / मराठी
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