kavita
शीर्षक | कवयित्री | प्रतिक्रिया | नवीन |
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कवडसा | श्यामली | 16 | |
गाज | अवल | 16 | |
तुझ्यासाठी.. | पियु | 17 | |
जीर्ण गोष्ट | प्रफे | 17 | |
अंतर | प्रफे | 17 | |
मैत्रिणीला सापडलेली (माझीच) जुनी कवितेवरची कविता | संघमित्रा | 18 | |
असंच एकदा.. | मॅगी | 18 | |
स्थलांतर -१ | नीधप | 18 | |
दुष्ट | प्रफे | 18 | |
तगमग | प्रफे | 19 | |
फिर भी... | प्रफे | 19 | |
सूर्यबलक | मॅगी | 19 | |
भोज्या | अवल | 19 | |
परकी दुःखं | मितान | 19 | |
रक्ताची चटक लागलेले चाकू सुरे खुले आम हिंडत आहेत. | वृंदा | 20 | |
झण्ण! | नीधप | 20 | |
बेभान विरक्त! | प्रफे | 20 | |
रुपेरी खूण | प्रफे | 20 | |
आठवण | विजया केळकर | 20 | |
इथपासून तिथपर्यंत | मॅगी | 21 | |
वाट | अन्जू | 21 | |
DP | प्रफे | 21 | |
शोध स्वतःचा | अन्जू | 22 | |
सांग सख्या रे! | कविन | 22 | |
अनुल्लेख | प्रफे | 23 | |
ओलावा. | अन्जू | 23 | |
नव मैत्रीण - उपक्रम | अनुजा मंदार | 23 | |
सांगाती | मॅगी | 23 | |
बुक मार्क | श्यामली | 24 | |
सोबत | विजया केळकर | 24 |
पाने
हिंदी / मराठी
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